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"ग़ज़लकार सब लगे हुए फ़नकारी में / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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ग़ज़लकार सब लगे हुए फ़नकारी में
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मगर हम लिए खुरपी बैठे क्यारी में
  
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मिले प्यार से नन्हकू, झिनकू , जुम्मन खाँ
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फिर लग गयी चौपाल किसी बसवारी में
  
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उधर गाँव के लड़कों की टोली निकली
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इधर तितलियाँ नाच रहीं फुलवारी में
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किसी अप्सरा इन्द्रपरी में बात कहाँ
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यहाँ बात जो अपनी रामदुलारी में
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कभी ज़ीस्त से हमने दो-दो हाथ किये
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कभी खो गये बच्चों की किलकारी में
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मगर एक दिन चाँद सितारे छूने हैं
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हसीं ख़्वाब बुनने की हम तैयारी में
 
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15:58, 13 नवम्बर 2020 का अवतरण

ग़ज़लकार सब लगे हुए फ़नकारी में
मगर हम लिए खुरपी बैठे क्यारी में

मिले प्यार से नन्हकू, झिनकू , जुम्मन खाँ
फिर लग गयी चौपाल किसी बसवारी में

उधर गाँव के लड़कों की टोली निकली
इधर तितलियाँ नाच रहीं फुलवारी में

किसी अप्सरा इन्द्रपरी में बात कहाँ
यहाँ बात जो अपनी रामदुलारी में

कभी ज़ीस्त से हमने दो-दो हाथ किये
कभी खो गये बच्चों की किलकारी में

मगर एक दिन चाँद सितारे छूने हैं
हसीं ख़्वाब बुनने की हम तैयारी में