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"करि की चुराई चाल, सिंह को चुरायो कटि / बेनी" के अवतरणों में अंतर

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<poeM>करि की चुराई चाल सिंह को चुरायो लंक
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दूध को चुरायो रंग, नासा चोरी कीर की
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करि की चुराई चाल हरि की चुराई लंक,
पिक को चुरायो बैन, मृग को चुरायो नैन
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शशि को चुरायो मुख नासा चोरी कीर की।
दसन अनार, हाँसी बीजुरी गँभीर की
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::पिकको चुरायो बैन मृग को चुरायो नैन,
कहे कवे ‘बेनी’ बेनी व्याल की चुराय लीनी
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::दसन अनार हंसी बीजुरी अधीर की॥
रति रति सोभा सब रति के सरीर की
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कहै कवि ‘बैनी’ बेनी ब्याल सों चुराय लीन्हों,
अब तो कन्हैया जी को चित हू चुराय लीनो
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रती रती शोभा सब रति के शरीर की।
चोरटी है गोरटी या छोरटी अहीर की
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::अब तो कन्हैयाजू को चित्तहू चुराय लीन्हों,
 
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::छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीरकी॥
 
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22:14, 26 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

करि की चुराई चाल हरि की चुराई लंक,
शशि को चुरायो मुख नासा चोरी कीर की।
पिकको चुरायो बैन मृग को चुरायो नैन,
दसन अनार हंसी बीजुरी अधीर की॥
कहै कवि ‘बैनी’ बेनी ब्याल सों चुराय लीन्हों,
रती रती शोभा सब रति के शरीर की।
अब तो कन्हैयाजू को चित्तहू चुराय लीन्हों,
छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीरकी॥