भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इतना प्यार! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 36: | पंक्ति 36: | ||
आँखों में तेरी ज्योति | आँखों में तेरी ज्योति | ||
दीपित हो भोर -सी। | दीपित हो भोर -सी। | ||
+ | 58 | ||
+ | मन उत्फुल्ल | ||
+ | बरसें सुख- घन | ||
+ | खिले आँगन | ||
+ | सबकी ये दुआएँ | ||
+ | दुःख न पास आएँ। | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
10:56, 17 नवम्बर 2021 का अवतरण
1
इतना प्यार!
निशदिन बौछार
भीगा है मन
कहीं भी चला जाऊँ
तुम्हें भुला न पाऊँ।
54
जुड़ा सम्बन्ध
जन्मों का अनुबन्ध
कभी न टूटे
साँसें भले ही छोड़ें
तेरा साथ न छूटे।
55
सृष्टि की लय
तेरा प्यार मुझमें
हुआ विलय
सूर्य, चन्द्र, तारक
साक्षी बन गर्वित।
56
गगन भेदी
ये मेरी प्रार्थनाएँ
तुझे पुकारें
प्रणव बन साँसें
तुझमें जा समाएँ।
57
अधरों पर
तेरा नाम छलके
सुधा पान- सा
आँखों में तेरी ज्योति
दीपित हो भोर -सी।
58
मन उत्फुल्ल
बरसें सुख- घन
खिले आँगन
सबकी ये दुआएँ
दुःख न पास आएँ।