भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रोते-हँसते / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंवर नारायण |संग्रह= }} <Poem> जैसे बेबात हँसी आ जात...)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:04, 23 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

जैसे बेबात हँसी आ जाती है
हँसते चेहरों को देख कर

जैसे अनायास आँसू आ जाते हैं
रोते चेहरों को देख कर

हँसी और रोने के बीच
काश, कुछ ऐसा होता रिश्ता
कि रोते-रोते हँसी आ जाती
जैसे हँसते-हँसते आँसू !