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"कोणार्क / गायत्रीबाला पंडा / शंकरलाल पुरोहित" के अवतरणों में अंतर
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प्राचुर्य और पश्चात्ताप में गढ़ा | प्राचुर्य और पश्चात्ताप में गढ़ा | ||
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− | क्या हो सकता है कोणार्क? | + | क्या हो सकता है कोणार्क ? |
− | समय है | + | समय है निरुत्तर । |
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+ | '''मूल ओड़िया भाषा से अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित''' | ||
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21:11, 19 फ़रवरी 2025 के समय का अवतरण
बिना हलचल हुए
वर्ष पर वर्ष
स्थिर मुद्रा में खड़े रहना ही
हमारी अभिनवता, कोई कहता ।
हमारी नग्नता ही हमारा प्रतिवाद
और दूसरा स्वर जुड़ता।
उल्लास और आर्तनाद को माँग-माँग
पत्थर बन गए,
हेतु होते विस्मय का,
पथिक का, पर्यटक का ।
प्राचुर्य और पश्चात्ताप में गढ़ा
एक कालखण्ड
क्या हो सकता है कोणार्क ?
समय है निरुत्तर ।
मूल ओड़िया भाषा से अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित
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