भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बाप का बीस लाख फूँक कर / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ()
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=शैल चतुर्वेदी
 
|रचनाकार=शैल चतुर्वेदी
 
}}
 
}}
 
+
<poem>
 
+
 
लोकल ट्रेन से उतरते ही<br>
 
लोकल ट्रेन से उतरते ही<br>
 
हमने सिगरेट जलाने के लिए<br>
 
हमने सिगरेट जलाने के लिए<br>
पंक्ति 19: पंक्ति 18:
 
ये भिखारियों का देश्‍ा है <br>
 
ये भिखारियों का देश्‍ा है <br>
 
लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है<br>
 
लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है<br>
धंधा माँगने भिखारी <br>
+
धंधा माँगने वाला भिखारी <br>
 
चंदा माँगने वाला<br>
 
चंदा माँगने वाला<br>
 
दाद माँगने वाला<br>
 
दाद माँगने वाला<br>
पंक्ति 31: पंक्ति 30:
 
भीख माँगी तो कहते हैं <br>
 
भीख माँगी तो कहते हैं <br>
 
कामचोर है <br>
 
कामचोर है <br>
उनमें कुछ नहीं कहते <br>
+
उनसे कुछ नहीं कहते <br>
 
जो एक वोट के लिए <br>
 
जो एक वोट के लिए <br>
 
दर-दर नाक रगड़ते हैं<br>
 
दर-दर नाक रगड़ते हैं<br>
पंक्ति 75: पंक्ति 74:
 
वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर <br>
 
वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर <br>
 
दस आपके हाथ पर धर दूँगा !"<br><br>
 
दस आपके हाथ पर धर दूँगा !"<br><br>
 +
</poem>

04:08, 29 नवम्बर 2008 का अवतरण

लोकल ट्रेन से उतरते ही

हमने सिगरेट जलाने के लिए

एक साहब से माचिस माँगी

तभी किसी भिखारी ने

हमारी तरफ हाथ बढ़ाया

हमने कहा-

"भीख माँगते शर्म नहीं आती?"

वो बोला-

"माचिस माँगते आपको आयी थी क्‍या"

बाबूजी! माँगना देश का करेक्‍टर है

जो जितनी सफाई से माँगे

उतना ही बड़ा एक्‍टर है

ये भिखारियों का देश्‍ा है

लीजिए! भिखारियों की लिस्‍ट पेश है

धंधा माँगने वाला भिखारी

चंदा माँगने वाला

दाद माँगने वाला

औलाद माँगने वाला

दहेज माँगने वाला

नोट माँगने वाला

और तो और

वोट माँगने वाला

हमने काम माँगा

तो लोग कहते हैं चोर है

भीख माँगी तो कहते हैं

कामचोर है

उनसे कुछ नहीं कहते

जो एक वोट के लिए

दर-दर नाक रगड़ते हैं

घिस जाने पर रबर की खरीद लाते हैं

और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर

महंत बन जाते हैं।

लोग तो एक बिल्‍ला से परेशान हैं

यहाँ सैकड़ों बिल्‍ले

खरगोश की खाल में देश के हर कोने में विराजमान हैं।



हम भिखारी ही सही

मगर राजनीति समझते हैं

रही अखबार पढ़ने की बात

तो अच्‍छे-अच्‍छे लोग

माँग कर पढ़ते हैं

समाचार तो समाचार

लोग बाग पड़ोसी से

अचार तक माँग लाते हैं

रहा विचार!

तो वह बेचारा

महँगाई के मरघट में

मुद्दे की तरह दफन हो गया है।

समाजवाद का झंडा

हमारे लिए कफन हो गया है

कूड़ा खा रहे हैं और बदबू पी रहे हैं

उनका फोटो खींचकर

फिल्‍म वाले लाखों कमाते हैं

झोपड़ी की बात करते हैं

मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।

हमने कहा "फिल्‍म वालों से

तुम्‍हारा क्‍या झगड़ा है ?"

वो बोला-

"आपके सामने भिखारी नहीं

भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ा है

बाप का बीस लाख फूँक कर

हाथ में कटोरा पकड़ा!"

हमने पाँच रुपए उसके

हाथ में रखते हुए कहा-

"हम भी फिल्‍मों में ट्राई कर रहे हैं !"

वह बोला, "आपकी रक्षा करें दुर्गा माई

आपके लिए दुआ करूँगा

लग गई तो ठीक

वरना आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर

दस आपके हाथ पर धर दूँगा !"