भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हर कविता / मरीना स्विताएवा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / म...)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:47, 29 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

हर कविता
संतान है प्यार की
विपन्न और अवैध ।

पहली संतान
रेल की पटरी पर
हवाओं के अभिवादन के लिए
छोड़ी हुई ।

हृदय के लिए- नरक और वेदी,
हृदय के लिए- स्वर्ग और अपमान ।

कौन है पिता ? सम्भव है ज़ार,
सम्भव है- ज़ार, सम्भव है चोर ।

रचनाकाल : 14 अगस्त 1918

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह