भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दो दुश्मन / मरीना स्विताएवा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मरीना स्विताएवा |संग्रह=आएंगे दिन कविताओं के / म...)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:54, 29 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

पैदा हुई है आत्मा यदि पंखों के साथ
महलों और झोपड़ियों से उसे क्या मतलब !
उसे क्या मतलब चंगेज़ खाँ और उसकी फ़ौज से !

दो हैं दुश्मन मेरे इस दुनिया में
दो जुड़वाँ बहनें कभी न जुदा होनेवाली-
भूखों की भूख और तृप्ति तृप्तों की ।

रचनाकाल : 18 अगस्त 1918

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह