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+ | * [[ याँ न ज़र्रा ही झमकता है फ़क़त गर्द के साथ / सौदा]] |
02:28, 30 दिसम्बर 2008 का अवतरण
मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा
जन्म | 1713 |
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निधन | 1781 (लखनऊ) |
उपनाम | सौदा |
जन्म स्थान | देहली |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
फ़ारसी और उर्दू में एक दीवान, एक तज़्करा | |
विविध | |
मलकुश्शुउरा का ख़िताब | |
जीवन परिचय | |
मिर्ज़ा रफ़ी 'सौदा' / परिचय |
- जी तक तो लेके दूँ कि तू हो कारगर कहीं / सौदा
- अक़्ल उस नादाँ में क्या जो तेरा दीवाना नहीं / सौदा
- किसी का दर्दे-दिल प्यारे तुम्हारा नाज़ क्या समझे / सौदा
- हर मिज़ा पर तेरे लख़्ते-दिल है इस रंजूर का / सौदा
- मक़दूर नहीं उस तज्जली के बयाँ का / सौदा
- टूटे तिरी निगह से अगर दिल हुबाब का / सौदा
- पाया वो हम इस बाग़ में जो काम न आया / सौदा
- याँ न ज़र्रा ही झमकता है फ़क़त गर्द के साथ / सौदा