भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अजीब वक्त है / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंवर नारायण |संग्रह= }} <Poem>अजीब वक्त है - बिना लड...)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:29, 4 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

अजीब वक्त है -

बिना लड़े ही एक देश- का देश

स्वीकार करता चला जाता

अपनी ही तुच्छताओं के अधीनता !

 

कुछ तो फर्क बचता

धर्मयुद्ध और कीट युद्ध में -

कोई तो हार जीत के नियमों में

स्वाभिमान के अर्थ को फिर से ईजाद करता ।