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"आँसुओं की जहाँ पायमाली रही / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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फिर कई रोज़ तक बेख़याली रही <br><br>
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लब तरसते रहे इक हँसी के लिये<br>
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मेरी कश्ती मुसाफ़िर से ख़ाली रही <br><br>
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मेरे सीने पे ख़ुशबू ने सर रख दिया <br>
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23:37, 9 फ़रवरी 2009 का अवतरण

आँसूओं की जहाँ पायमाली रही
ऐसी बस्ती चराग़ों से ख़ाली रही

दुश्मनों की तरह उस से लड़ते रहे
अपनी चाहत भी कितनी निराली रही

जब कभी भी तुम्हारा ख़याल आ गया
फिर कई रोज़ तक बेख़याली रही

लब तरसते रहे इक हँसी के लिये
मेरी कश्ती मुसाफ़िर से ख़ाली रही

चाँद तारे सभी हम-सफ़र थे मगर
ज़िन्दगी रात थी रात काली रही

मेरे सीने पे ख़ुशबू ने सर रख दिया
मेरी बाँहों में फूलों की डाली रही