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"मच्छर-दानी / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’" के अवतरणों में अंतर

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01:06, 1 जून 2010 के समय का अवतरण

जिसमें नींद चैन की आती ।
वो मच्छर-दानी कहलाती ।।

लाल-गुलाबी और हैं धानी ।
नीली-पीली बड़ी सुहानी ।।

छोटी, बड़ी और दरम्यानी ।
कई तरह की मच्छर-दानी ।।

इसको खोलो और लगाओ ।
बिस्तर पर सुख से सो जाओ ।।

जब ठण्डक कम हो जाती है ।
गरमी और बारिश आती है ।।

तब मच्छर हैं बहुत सताते ।
भिन-भिन करके शोर मचाते ।।

खून चूस कर दम लेते हैं ।
डेंगू-फीवर कर देते हैं ।।

मच्छर से छुटकारा पाओ ।
मच्छरदानी को अपनाओ ।।