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"मधुमक्खी / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’" के अवतरणों में अंतर

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21:38, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

मधुमक्खी है नाम तुम्हारा।
शहद बनाना काम तुम्हारा।।

छत्ते में मधु को रखती हो।
कभी नही इसको चखती हो।।

कंजूसी इतनी करती हो।
रोज तिजोरी को भरती हो।।

दान-पुण्य का काम नही है।
दया-धर्म का नाम नही है।।

इक दिन डाका पड़ जायेगा।
शहद-मोम सब उड़ जायेगा।।

मिट जायेगा यह घर-बार।
लुट जायेगा यह संसार।।

जो मिल-बाँट हमेशा खाता।
कभी नही वो है पछताता।।