भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लैपटॉप-2 / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> सबके मन …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:44, 14 जून 2010 के समय का अवतरण
सबके मन को जो भाता है ।
लैपटॉप वो कहलाता है ।।
सभी जगह इसको ले जाओ ।
बड़े मज़े से नेट चलाओ ।।
मनचाहे गानों को भर लो ।
दूर देश में बातें कर लो ।।
सारा कुछ तो लगा यहीं है ।
माउस का भी काम नही है ।।
इसमें ज्ञान समाया सारा ।
लैपटॉप लगता है प्यारा ।।