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धड़ से शिर गिरा अलग जाकर।
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गिर पड़ा वहीं धड़, असि का जब
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भिन गया गरल रग रग जाकर॥
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गज से घोड़े पर कूद पड़ा,
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कोई बरछे की नोक तान।
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कटि टूट गई, काठी टूटी,
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पड़ गया वहीं घोड़ा उतान॥
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गज - दल के गिर हौदे टूटे,
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हय - दल के भी मस्तक फूटे।
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बरछों ने गोभ दिए, छर छर
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शोणित के फौवारे छूटे॥
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लड़ते सवार पर लहराकर
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खर असि का लक्ष्य अचूक हुआ।
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कट गया सवार गिरा भू पर,
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घोड़ा गिरकर दो टूक हुआ॥
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19:52, 15 सितम्बर 2010 का अवतरण

तलवार गिरी वैरी - शिर पर,
धड़ से शिर गिरा अलग जाकर।
गिर पड़ा वहीं धड़, असि का जब
भिन गया गरल रग रग जाकर॥

गज से घोड़े पर कूद पड़ा,
कोई बरछे की नोक तान।
कटि टूट गई, काठी टूटी,
पड़ गया वहीं घोड़ा उतान॥

गज - दल के गिर हौदे टूटे,
हय - दल के भी मस्तक फूटे।
बरछों ने गोभ दिए, छर छर
शोणित के फौवारे छूटे॥

लड़ते सवार पर लहराकर
खर असि का लक्ष्य अचूक हुआ।
कट गया सवार गिरा भू पर,
घोड़ा गिरकर दो टूक हुआ॥