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छाते / विनोद स्वामी
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|रचनाकार= विनोद स्वामी
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poem
Poem
>वैसे तोअपनी
मर्जी
मर्ज़ी
के
मालिक हैं ये
पर हमारी
नजरों
नज़रों
में
आकाश में उड़ते
ये बादल
छाते हैं
हमारे।
हमारे ।
</poem>
अनिल जनविजय
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