भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धरती आभौ बण जावै / राजेश कुमार व्यास
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:51, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
मुगत करै
थारी औगत
आखती-पाखती री
सगळी ही अबखांया सूं
बेकळू मांय न्हावै मन
धरती आभौ बण जावै
अर
धोरा समन्दर।