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वे पल / रमेश रंजक

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वे पल
थमे जल-से थमे
रमे जैसे—
बिम्ब दर्पण में रमे
                  वे पल

पाँव के बल खड़े थे वे
नहीं छल के बल
बो गए सारे बदन में
झुरझुरी, हलचल

गीत थे शायद अजनमे
समय पर जनमे
वे पल