भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उरजौ ना स्याम कही मानों / ईसुरी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:30, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उरजौ ना स्याम कही मानों,
फट जै हैं, चुनरिया ना तानों।
इत मथरा उत गोकल नगरी,
बीच बसत है बरसानो।
रजा कंस कौ राज बुरओ है,
मथरा बीच रूपौ थानों।
मैं बेटी वृषभान लला की,
काऊकी ईसुर ना जानों।