भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बेकार चीजु / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:56, 20 मई 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने ड्राइंग रूम के सफाई करिह
झरिह बहरिह
ऊ बहरनवा
हमरे अँगना में फेंकि दीह
ऊहे हमार सम्पति होई।

जिनिगी भर ईहे त तू कइल
तू मुअला के जिया दिहल
हे परोपकारी देव
हमरे लगे साफ करे के कुछ हइये नइखे
जवन कुछ रहबो कईल
तोहके ओढ़ा पहिरा के
हम नंगा हो गईलीं
सगरो बेकार चीजु
हमरे लगे भेजि दीह
ओसे हम आपन बेकारी काटबि
चाट तू खइह
हम तोहार पत्तल चाटबि।
31.01.92