भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच की राहें चलना हरदम / मृदुला झा

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 4 मई 2019 का अवतरण (Rahul Shivay ने सच की राहें चलना हरदमए / मृदुला झा पृष्ठ सच की राहें चलना हरदम / मृदुला झा पर स्थानांतरि...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये कोशिश तुम करना हरदम।

अवरोधों से डरना कैसा,
सीना ताने चलना हरदम।

देश की खातिर जीना हरपल,
देश की खातिर मरना हरदम।

दुख से अब घबराना कैसा,
हँसकर दुख को सहना हरदम।

आँसू आते-जाते रहते,
उनसे क्यों कर डरना हरदम।