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किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए / गुलाब खंडेलवाल

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किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
एक अरसा हो गया फूलों की चोट खाए हुए

किया है प्यार बिना देखे ही भले उनसे
हम उस गली में न जायेंगे बेबुलाये हुए

करोगे याद भी हमको हमारे बाद कभी
अभी जो छोड़ के जाते हो मुँह फिराए हुए

मुकाम ऐसे भी आये हैं ज़िन्दगी में कई
हम अपना समझे थे जिनको वही पराये हुए

भले ही तेज हो आँधी, बचाके रख लो इन्हें
न जल सकेंगे कभी फिर दिए बुझाये हुए

सिवा गुलाब के रंगत है किसकी लाल यहाँ!
बहुत हैं देखे जलाए हुए, सताए हुए