Last modified on 23 जनवरी 2009, at 17:11

नया साल जब आया / अवतार एनगिल

सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:11, 23 जनवरी 2009 का अवतरण (नया साल जब आया / अवतार एनगिल का नाम बदलकर नया साल जब आया / अवतार एन गिल कर दिया गया है)

मैने नए नए साल से कहा
भूल जाओ
यात्राओं की यातना
फिलहाल जूते उतारो
गर्म पानी लो
धो लो पाँव

यह रहा तौलिया
पोंछ डालो
सूर्य से यहाँ तक
पहुँचने की थकान
वह मुस्कुराया
खिड़की तक आया
और पहली किरन के साथ
स्नानगृह में चला गया

जब हम
साथ- साथ, पास-पास बैठे
मैने उसे गिलास थमाया

और कहा—
हर्ज क्या है
गर कुछ पल
बहक भी जाएं हम?

‘मैं तो यात्री हूँ...
कहा उसने... और..... देखा मैने
कहीं नही था वह

मेज से द्वार
द्वार से आँगन
आँगन से सड़क तक
फैली थी
नये साल की
नयी धूप ।