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जीवन गाते गाते बीते / गुलाब खंडेलवाल
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जीवन गाते-गाते बीते
और पहुच कर अन्तिम सुर पर
सुमनान्जलि सा रीते
दिन भर सागरतट पर गाऊँ
बालू के घर बना मिटाऊँ
गाते ही गाते घर आऊँ
सोच न हारे जीते
नव नव धुन जागें जीवन में
नित नव राग उठे जीवन में
गीतों मे सज दूँ जो मन में
दुःख हो मीठे-तीते