भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फिर कबीर / मुनव्वर राना
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 3 नवम्बर 2009 का अवतरण
फिर कबीर
रचनाकार | मुनव्वर राना |
---|---|
प्रकाशक | रूपांकन 31,शंकरगंज
,किला रोड,इन्दौर -452006 |
वर्ष | 2007 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 120 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- माँ / मुनव्वर राना
- बचपन / मुनव्वर राना
- कई घरों को निगलने के बाद आती है / मुनव्वर राना
- मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता / मुनव्वर राना
- जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई / मुनव्वर राना
- अमीरे-शहर को तलवार करने वाला हूँ / मुनव्वर राना
- कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा / मुनव्वर राना
- समझौतों की भीड़भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया / मुनव्वर राना
- हम कभी जब दर्द के किस्से सुनाने लग गये मुनव्वर राना
- तुझ में सैलाबे-बला थोड़ी जवानी कम है / मुनव्वर राना
- आँखों में कोई ख़्वाब सुनहरा नहीं आता / मुनव्वर राना
- तू कभी देख तो रोते हुए आकर मुझको / मुनव्वर राना
- अगर दौलत से ही सब क़द का अंदाज़ा लगाते हैं / मुनव्वर राना
- कुछ मेरी वफादारी का इनाम दिया जाए/ मुनव्वर राना
- न मैं कंघी बनाता हूँ, न मैं चोटी बनाता हूँ/ मुनव्वर राना
- मेरे कमरे में अँधेरा नहीं रहने देता / मुनव्वर राना
- हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और है / मुनव्वर राना
- मेरी थकन के हवाले बदलती रहती है / मुनव्वर राना
- नाकामियों के बाद भी हिम्मत वही रही / मुनव्वर राना
- जगमगाते हुए शहरों को तबाही देगा/ मुनव्वर राना