भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वैलेन्टाईन-डे / शशि सहगल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:08, 23 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |अनुवादक= |संग्रह=मौन से स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेंट वेलेन्टाईन का जन्म-दिन
देता है संदेश
सभी को खुश रहने का
बाँटता है प्रेम
प्रेमियों में बढ़ाता है मुहब्बत
गहरे होते संबंधों की
याद दिलाता है वैलेन्टाईन-डे।

पहले भी खुशनुमा तरीके से
होता था प्रेम
आत्मीयता का समुद्र
गहराता था कहीं भीतर
सड़क और चौराहों पर
प्रेम-प्रदर्शन के
नहीं बिकते थे कार्ड
अरे, प्रेम तो नितान्त निजी अनुभव है
किसी खास दिन
या तारीख का
मोहताज नहीं होता है प्रेम
वो तो कहीं भी
कभी भी हो सकता है
ज़रा सोचिये तो
कभी कोई दिन तय कर के
प्रेम किया है आपने?