भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिता / सुलोचना वर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:00, 14 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुलोचना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जून की गर्म दोपहर में
बरगद की छाँव पिता है
शीतलहरी की रातों मे
जलता सा अलाव पिता है
भवसागर की तूफ़ानों में
प्राण रक्षक नाव पिता है
जीवन संकट की बेला में
महादेव का पाँव पिता है
मतलबी निष्ठूर जहाँ में
बसा-बसाया गाँव पिता है