भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दूधी की धार मारूं माता नै / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:13, 13 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दूधी की धार मारूं माता नै कदे तू गुमानी भूल नहीं जा
याद दिलांऊ सूं अक आवैगी अब नई बहूरानी बेटा भूल नहीं जा
भाई का सुखी हो सरीर, जुग जुग जीवो मेरा बीर
याद दिलाऊं सूं अक मां जाई की या सै निसानी बीरा भूल नहीं जा