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प्रकीर्ण / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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सासुर रस - सासु न सासुर नाम टा से बिनु सारि असार
बिना सरस सरहोजिएँ रस सासुर निःसार।।54।।
तीन (3) अथच छओ (6) जौं बनय भाउजि ननदि क खीस
आँकब (63) तिरसठि माय-धी, सासु-पुतोहु (36) छतीस।।55।।)