भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रकीर्ण / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 22 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सासुर रस - सासु न सासुर नाम टा से बिनु सारि असार
बिना सरस सरहोजिएँ रस सासुर निःसार।।54।।
तीन (3) अथच छओ (6) जौं बनय भाउजि ननदि क खीस
आँकब (63) तिरसठि माय-धी, सासु-पुतोहु (36) छतीस।।55।।)