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फ़ानी जॻु / मुकेश तिलोकाणी
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छा
सचु ॻाल्हिाइणु पापु
न ॻाल्हिाइणु ॾोहु आहे।
ज़िन्दगी जंहिं वहिकरे में
लुढंदी वञे
उनजो आनंदु माणणु
समिझजे मुनासिबु।
थाॿा, धिका,
सख़्तियूं सहंदे
मस्तीअ में जीअंदे
अलाह जी ओट वठी
जीइजे
फ़ानी जॻ में!?