भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक अजन्मी बच्ची के सवाल / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:02, 20 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मजा शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=ज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक अजन्मी बच्ची के सवाल
हमसे उत्तर माँग रहे हैं-
मैं माँ के पेट में हूँ
जीवन की हँसी हँस रही हूँ
बाहर आना चाहती हूँ
आने दोगे?
सुन्दर दुनिया देखना चाहती हूँ
देखने दोगे?
में स्वस्थ जीवन जीना चाहती हूँ
खिलखिलाना चाहती हूँ
महकना चाहती हूँ ताज़ा गुलाब की तरह
चहकना चाहती हूँ चिडिय़ा की तरह
मैं पढऩा चाहती हूँ इंसान की तरह
मैं दुनिया में छा जाना चाहती हूँ आसमान की तरह
मुझे छाने दोगे?
पढऩे दोगे?
आगे और आगे बढऩे दोगे?
मेरा रास्ता तो न रोकोगे?
आ जाऊँ तो प्रेम से रखोगे?
मुझे हाँडी में रखकर खेत में गाड़ तो न दोगे?
मेरा गला घोंट तो न दोगे?
मुझे अपने से दूर तो न कर दोगे?
मेरे सपने चूर तो न कर दोगे?
बाहर आ जाऊँ जीने तो दोगे?
जीवन की खुशिया मुझे भी पाने तो दोगे?