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बोलो गम / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
बोलो भाई बोलो गम
अब तो शेष रहे हम तुम !
बोलो भाई बोलो गम !!
चोर बड़ा या नंगा ऊँचा
है न किसी से कोई कम !
उन्हें सिर्फ़ ख़ुद की चिंता है
चाहे जग हो नरम गरम !
रहबर तो दाख़िल-दफ़्तर हैं
रखे जहाँ पर एटम बम !
सबके लिए सोचते हैं हम
इसीलिए चिंता हरदम !