नया पृष्ठ: <poem>इकतीस दिसम्बर की रात की जमी हुई झील को पार कर पूर्व की देहरी की …
नया पृष्ठ: <poem>मेरी देह तलाशती फिरती है तेरी देह जैसे सूर्य के पीछे धरती धरती …
नया पृष्ठ: <poem>छिप नहीं सकता वह सुख तृप्ति बन तिर-तिर चेहरे पर घिर-घिर आता हैं …
नया पृष्ठ: <poem> हां S S वे दिन भी क्या दिन थे सुख भरे सूखकर झर चुके जो पीले पत्तो…
नया पृष्ठ: <poem>कोई आदमी अगर पत्थर पर फेंकता है पत्थर पत्थर पलटकर नहीं मारता पत…
नया पृष्ठ: <poem>आंधी ही नहीं आग भी बना समय इतना कुछ उड़ जाने पर भी इतना कुछ जाने …
नया पृष्ठ: <poem>मां रसोई में व्यस्त है अपनी सम्पूर्ण झ…
no edit summary
-2
no edit summary
-1
no edit summary
+2
no edit summary
-16
no edit summary
+70
no edit summary
-23
no edit summary
+41
नया पृष्ठ: श्री सांवर दइया साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत रजस्थानी कहानीकार (…
no edit summary
-1
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया }} {{KKPustak |चित्र= |नाम=दर्द के दस्तावेज |रच…
नया पृष्ठ: <poem>आकाश के अनंत छोर तक पहुंच बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर सांझ समय …
नया पृष्ठ: <poem>वे समझाते हैं लड़ो लड़ना धर्म है पृथ्वी और मनुष्य को बचाने के ल…
नया पृष्ठ: <poem>आकाश में गिद्धों की तरह तिर रहे हैं हवाई जहाज-हैलीकॉप्टर आग में…
नया पृष्ठ: <poem>गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है बहरा सराह रहा है सजी सभा में पंगुल पा…
no edit summary
+54
no edit summary
+55
no edit summary
+54
no edit summary
+54
नया पृष्ठ: <poem>मेरी जड़ें जमीन में कितनी गहरी हैं यह सोचने वाला पेड़ आंधी के थ…
नया पृष्ठ: <poem>सिर नहीं है सिर की जगह औंधी रखी हंडिया देह - लाठी का टुकड़ा हाथों…
नया पृष्ठ: <poem>घुंडियों के मुंह लगाते ही लगा मुझे सारा सुख यहीं है उमस आंधी और …
नया पृष्ठ: <poem>धरती को इसी तरह रौंदी-कुचली देखता हूं जव देखता हूं आकाश को इसी त…
नया पृष्ठ: <poem>पाला खाए पीले पात लिए जमे हुए खड़े हैं कोहरा ओढ़े पेड़ ठिठुरता…
नया पृष्ठ: <poem>पहाड़ों से टकराती बल खाती इठलाती चली आ रही नदी कभी मंद कभी द्रु…
no edit summary
-3
नया पृष्ठ: <poem>कोई आदमी अगर पत्थर पर फेंकता है पत्थर पत्थर पलटकर नहीं मारता पत…
नया पृष्ठ: <poem>सूखा भीतर तक तभी तो पीला हुआ पीला दिखता है लेकिन पीला था नहीं औ…
नया पृष्ठ: <poem>मैं न सही मेरी जगह मेरा रचा तो रहा चलो अच्छा है इसी बहाने मैं कु…
नया पृष्ठ: <poem>किसी धमाके के साथ हडकंप मचाते हुए खलनायक की तरह मंच पर उपस्थित …
no edit summary
-4
no edit summary
-98
no edit summary
+98
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया }} {{KKPustak |चित्र= |नाम=उस दुनिया की सैर के …
नया पृष्ठ: <poem>दर्द के सागर में मैं डूबता तिरता हूं कोई नहीं थमता मेरा हाथ । म…
नया पृष्ठ: <poem>तुमने और मैंने पाला हजार-हजार रंगों का एक सपना । तुम्हारी और मे…
no edit summary
नया पृष्ठ: <poem>मैंने संभाल रखा है तुम्हारा दिया हुआ- गुलाब । जब तुमने दिया था त…
नया पृष्ठ: <poem>दोहरी जिंदगी जीने को श्रापित है राजकुमारी चलता है निरंतर उस के …
नया पृष्ठ: <poem>वह जा रही थी अपने घर बैठ कर रिक्शा में लगी- राजकुमारी-सी ! मैंने …
no edit summary
+147
no edit summary
+19
नया पृष्ठ: दर्द के सागर में मैं डूबता तिरता हूं कोई नहीं थामता मेरा हाथ । मैं…
no edit summary
+350