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नया पृष्ठ: लहूलुहान हुई है ये जिंदगी देखो ज़रा-सी तुम मेरे ज़ख्मों की ताजगी …
नया पृष्ठ: मै पाऊँ तुमको जिधर भी निगाह करता हूँ मै जान बुझ कर कोई गुनाह करता …
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नया पृष्ठ: मैं देख रहा हूँ कुछ दिनों से कि एक टूटी हुई नज़र आँखों के उदास आँग…
नया पृष्ठ: समेट लेता हूँ अपने दुख शब्दों में कहीं बाढ़ की चपेट में आ गया हो क…
नया पृष्ठ: झुलस रहा है मेरे जिस्म का कोना-कोना रूह को आग लग गई जैसे कुछ दिनों …
नया पृष्ठ: एक बेनूर-से कमरे में सोया हुआ शायर (मैं) सोचता है कि उसकी पलकों पर …
नया पृष्ठ: जाने कितने कमरों में भरा हुआ है मेरे होने का एहसास जाने कितने बि…
नया पृष्ठ: अपने कमरे में इस तरह पड़ा होता हूँ ‘स्टोर रूम में जैसे कोई सामान र…
नया पृष्ठ: मैं ख़ूब समझता हूँ शाम की साज़िश रौशनी जब अपने ही जाले में उलझ जा…
नया पृष्ठ: ‘जीवन’ जिसका अर्थ मैं जानता नहीं मुझे जीना चाहता है । ‘मृत्यु’ …
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नया पृष्ठ: देखता हूँ 'क्षितिज के उस पार' जा कर कहीं सफ़ेद अँधेरा कहीं स्याह उ…
नया पृष्ठ: ज़मीन और जिस्म के बीच सुगबुगाता आदमी जैसे फूट रही हो बाँस की कोपल…
नया पृष्ठ: उस आख़िरी लम्हे का मुंतज़िर हूँ मैं जिस घड़ी सूख-सी जायेगी सफ़े…
नया पृष्ठ: नंगी सड़क के किनारे भूख से झुलसा हुआ बचपन प्यास की पनाह में प्ला…
नया पृष्ठ: समय और समाज के बीच एक औरत की तरह, औरत स्याही की धूप में जलती हुई-सी …
नया पृष्ठ: कोई चिट्ठी नहीं मिली अब तक तुम्हारा फोन भी नहीं आया कैसे समझूँ कि…
नया पृष्ठ: प्यार से चूम कर मेरा माथा ‘अलविदा’ माँ ने कह दिया मुझको तोड़ कर स…
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नया पृष्ठ: '''संक्षिप्त परिचय''' पेशे से पत्रकार '''त्रिपुरारि कुमार शर्मा''' का …
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नया पृष्ठ: एक चीख सुनाई देती है हिन्दुस्तान के हाथों में मेरी सोच का गला है ग…