मिर्ज़ा असदुल्लाह खाँ 'ग़ालिब'
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जन्म | 27 दिसंबर 1796 |
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निधन | 15 फ़रवरी 1869 |
उपनाम | ग़ालिब, असद |
जन्म स्थान | आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
दीवाने-ग़ालिब | |
विविध | |
उर्दू शायरी में ग़ालिब को बाबा-ए-सुख़न का मक़ाम हासिल है। | |
जीवन परिचय | |
ग़ालिब / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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- दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब (ग़ज़ल संग्रह)
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- आमों की तारीफ़ में / ग़ालिब
- अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ / ग़ालिब
- कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं / ग़ालिब
- ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा / ग़ालिब
- फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब / ग़ालिब
- हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे/ ग़ालिब
- नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए / ग़ालिब
- ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम / ग़ालिब
- शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया / ग़ालिब
- तुम ना आये तो क्य सहर ना हुई / ग़ालिब
- हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है/ ग़ालिब
- आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है/ ग़ालिब
- फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया/ ग़ालिब
- नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने/ ग़ालिब
- बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला / ग़ालिब
- वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता / ग़ालिब
- बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या / ग़ालिब
- ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं / ग़ालिब
- वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहां / ग़ालिब
- तेरे वादे पर जिये हम / ग़ालिब
- बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे / ग़ालिब
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