डॉ.हृदय नारायण सिंह
जन्म | 01 अक्तूबर 1962 |
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उपनाम | अभिज्ञात |
जन्म स्थान | ग्राम-कम्हरियां-खुशनामपुर, पोस्ट-दरियापुर नेवादां, जिला-आज़मगढ़, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
एक अदहन हमारे अन्दर, भग्न नीड़ के आर पार , सरापता हूँ, आवारा हवाओं के ख़िलाफ़ चुपचाप, वह हथेली, दी हुई नींद, खुशी ठहर ती है कितनी देर (सभी कविता संग्रह) | |
विविध | |
उपन्यास - अनचाहे दरवाज़े पर, कला बाज़ार। कहानी संग्रह- तीसरी बीवी। अब तक आकांक्षा संस्कृति सम्मान, कादम्बिनी लघु-कथा पुरस्कार, कौमी एकता पुरस्कार, अम्बेडकर उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान आदि कई पुरस्कार। | |
जीवन परिचय | |
अभिज्ञात / परिचय |
- दी हुई नींद (कविता संग्रह)
- खुशी ठहर ती है कितनी देर (कविता संग्रह)
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- हूक / अभिज्ञात
- ख़्वाब देखे कोई और / अभिज्ञात
- साठ पार के माँ-बाबूजी / अभिज्ञात
- निहितार्थ के लिए / अभिज्ञात
- सच के पास आदमी नहीं है / अभिज्ञात
- विश्वस्त गवाही / अभिज्ञात
- अपने भी विरुद्ध / अभिज्ञात
- मैं ठूँठ नहीं होना चाहता / अभिज्ञात
- शिलालेख और आदमी / अभिज्ञात
- मल्लाहनामा / अभिज्ञात
- एक अदहन हमारे अन्दर / अभिज्ञात
- फूटती हैं कोपलें / अभिज्ञात
- रेह में कल्ले / अभिज्ञात
- कविताएँ दाँत नहीं हैं / अभिज्ञात
- क्यों लगते हो अच्छे केदारनाथ सिंह? / अभिज्ञात
- धन्यवाद चीटियो धन्यवाद / अभिज्ञात
- गंध / अभिज्ञात
- हँसी की तासीर / अभिज्ञात
- हवा में उछलते हुए / अभिज्ञात
- इशारा / अभिज्ञात
- हावड़ा ब्रिज / अभिज्ञात
- होने सा होना / अभिज्ञात
- मैं ज़रूर रोता / अभिज्ञात
- ख़त / अभिज्ञात
- असमय आए / अभिज्ञात
- इक तेरी चाहत में / अभिज्ञात
- एकांतवास / अभिज्ञात
- तुम चाहो / अभिज्ञात
- मुझको पुकार / अभिज्ञात
- आइना होता / अभिज्ञात
- तराशा उसने / अभिज्ञात
- दरमियाँ / अभिज्ञात
- रुक जाओ / अभिज्ञात
- वो रात / अभिज्ञात
- सँवारा होता / अभिज्ञात
- सिलसिला रखिए / अभिज्ञात
- पा नहीं सकते / अभिज्ञात
- अदृश्य दुभाषिया / अभिज्ञात
- आवारा हवाओं के खिलाफ़ चुपचाप / अभिज्ञात
- शब्द पहाड़ नहीं तोड़ते / अभिज्ञात
- तुमसे / अभिज्ञात
- हवाले गणितज्ञों के / अभिज्ञात
- होने सा होना / अभिज्ञात
- मीरा हो पाती / अभिज्ञात
- प्रीत भरी हो / अभिज्ञात
- तपन न होती / अभिज्ञात
- उमर में डूब जाओ / अभिज्ञात
- लाज ना रहे / अभिज्ञात
- मन अजंता / अभिज्ञात
- अब नहीं हो / अभिज्ञात
- रिमझिम जैसी / अभिज्ञात
- धूप / अभिज्ञात
- आख़िरी हिलोर तक / अभिज्ञात
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