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जन्म | 10 जनवरी 1961 |
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उपनाम | 'नाज़' |
जन्म स्थान | ग्राम कूरी रवाना, थाना छजलैट, जनपद मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इक्कीसवीं सदी के लिए (ग़ज़ल-संग्रह, 1998), गुनगुनी धूप (ग़ज़ल-संग्रह, 2002 एवं 2010), मन की सतह पर (गीत-संग्रह, 2003),
जीवन के परिदृश्य (नाटक-संग्रह 2010) उगा है फिर नया सूरज (ग़ज़ल-संग्रह 2013) | |
विविध | |
दोहों की चौपाल (दोहा-संग्रह 2010, संपादित) | |
जीवन परिचय | |
डा. कृष्ण कुमार ‘नाज़’ / परिचय
नाम : डा. कृष्णकुमार ‘नाज़’ साहित्यिक गुरु : श्री कृष्णबिहारी ‘नूर’ पिता : श्री रामगोपाल वर्मा माता : श्रीमती भूरीदेवी जन्मतिथि : 10 जनवरी, 1961 जन्मस्थान : ग्राम कूरी रवाना, ज़िला मुरादाबाद (उ.प्र.) शिक्षा : एम.ए. (समाजशास्त्र, उर्दू व हिंदीद्), बी.एड. पी-एच.डी. (हिंदी) संप्रति : शासकीय सेवा प्रकाशित कृतियाँ : 1. इक्कीसवीं सदी के लिए (ग़ज़ल-संग्रह 1998) 2. गुनगुनी धूप (ग़ज़ल-संग्रह 2002 व 2010) 3. मन की सतह पर (गीत-संग्रह 2003) 4. जीवन के परिदृश्य (नाटक-संग्रह 2010) 5. उगा है फिर नया सूरज (ग़ज़ल-संग्रह 2013) 6. हिंदी-ग़ज़ल और कृष्णबिहारी ‘नूर’ (2014) संपादन : दोहों की चौपाल (2010) वाणी प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित सह-संपादन : ग़ज़ल इंटरनेशनल (वार्षिक), मुरादाबाद। लेखन विधाएँ : ग़ज़ल, गीत, दोहा, कविता, नाटक, निबंध आदि। विशेष : विभिन्न गायकों द्वारा गीत व ग़ज़लें स्वरबद्ध। सम्मान : विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित। पुरस्कार : राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उ.प्र. लखनऊ द्वारा 51,000/- रुपये की सम्मान राशि के साथ डा. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पुरस्कार 2013-14 संपर्क : सी-130, हिमगिरि कालोनी, काँठ रोड, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.) दूरभाष : 0591-2454422, मोबाइल : 99273-76877; 98083-15744 kknaazmbd1@gmail.com |
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- वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- जो ख़ुद उदास हो, वो क्या ख़ुशी लुटाएगा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- इक मुक़द्दर है कि अपना क़ौल बिसराता नहीं / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बाद तुम्हारे सब अपनों के मनमाने व्यवहार हुए / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- जीत किसके लिए, हार किसके लिए / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- चलेगी जब तेरी यादों की पुरवाई तो क्या होगा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- एहसास की शिद्दत ही सिमट जाए तो अच्छा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- खींच लाता है समय उस मोड़ पर इंसान को / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- क्या हुआ तुमको अगर चेहरे बदलना आ गया / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- राहत दो या उलझन दो / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- लगा रक्खी है उसने भीड़ मज़हब की, सियासत की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बिखर चुका है मगर ज़िंदगी की चाह में है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- झूठ है,छल है,कपट है,जंग है,तकरार है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- मैं तेरा अक्स हूँ तुझसे कभी जुदा ही नहीं / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- शाम का वक्त है शाखों को हिलाता क्यों है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- चाहत को आँसुओं के भँवर से बचा लिया / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- तुमसे मैं कुछ पल जुदा भी हो गया तो क्या हुआ / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
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