केदारनाथ अग्रवाल
जन्म | 01 अप्रैल 1911 |
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निधन | 22 जून 2000 |
जन्म स्थान | ग्राम कामासिन, जिला बाँदा, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
युग की गंगा, फूल नहीं रंग बोलते हैं, पंख और पतवार (1979), गुलमेंहदी, हे मेरी तुम!, बोलेबोल अबोल, जमुन जल तुम, मार प्यार की थापें, अपूर्वा | |
विविध | |
कविता संग्रह अपूर्वा के लिये 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित।।। | |
जीवन परिचय | |
केदारनाथ अग्रवाल / परिचय |
कविता संग्रह
- गुलमेंहदी / केदारनाथ अग्रवाल
- हे मेरी तुम / केदारनाथ अग्रवाल
- जमुन जल तुम / केदारनाथ अग्रवाल
- जो शिलाएँ तोड़ते हैं / केदारनाथ अग्रवाल
- कहें केदार खरी खरी / केदारनाथ अग्रवाल
- खुली आँखें खुले डैने / केदारनाथ अग्रवाल
- कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल
- मार प्यार की थापें / केदारनाथ अग्रवाल
- फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
- फूल नहीं, रंग बोलते हैं-2 / केदारनाथ अग्रवाल
- आग का आइना / केदारनाथ अग्रवाल
- पंख और पतवार / केदारनाथ अग्रवाल
- अपूर्वा / केदारनाथ अग्रवाल
- नींद के बादल / केदारनाथ अग्रवाल
- आत्म गंध / केदारनाथ अग्रवाल
- बम्बई का रक्त स्नान / केदारनाथ अग्रवाल
- युग-गंगा / केदारनाथ अग्रवाल
- बोले बोल अबोल / केदारनाथ अग्रवाल
- लोक आलोक / केदारनाथ अग्रवाल
- चुनी हुयी कविताएँ / केदारनाथ अग्रवाल
- पुष्पदीप / केदारनाथ अग्रवाल
- वसंत में प्रसन्न पृथ्वी / केदारनाथ अग्रवाल
- अनहारी हरियाली / केदारनाथ अग्रवाल
अनूदित रचनाओं के संग्रह
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है / केदारनाथ अग्रवाल
- पहला पानी / केदारनाथ अग्रवाल
- हमारी जिन्दगी / केदारनाथ अग्रवाल
- जिन्दगी / केदारनाथ अग्रवाल
- मजदूर का जन्म / केदारनाथ अग्रवाल
- बच्चे के जन्म पर / केदारनाथ अग्रवाल
- वह चिड़िया जो / केदारनाथ अग्रवाल
- मात देना नहीं जानतीं / केदारनाथ अग्रवाल
- और का और मेरा दिन / केदारनाथ अग्रवाल
- बसंती हवा / केदारनाथ अग्रवाल
- कनबहरे / केदारनाथ अग्रवाल
- वीरांगना / केदारनाथ अग्रवाल
- आज नदी बिलकुल उदास थी / केदारनाथ अग्रवाल
- ओस की बूंद कहती है / केदारनाथ अग्रवाल
- हम और सड़कें / केदारनाथ अग्रवाल
- जीवन से / केदारनाथ अग्रवाल
- मैना / केदारनाथ अग्रवाल
- कंकरीला मैदान / केदारनाथ अग्रवाल
- लंदन में बिक आया नेता / केदारनाथ अग्रवाल
- विकट है यह सघन अन्धकार का झुरमुट / केदारनाथ अग्रवाल