इब्ने इंशा
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जन्म | 15 जून 1927 |
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निधन | 11 जनवरी 1978 |
उपनाम | इंशा |
जन्म स्थान | फ़िल्लौर, जिला जालंधर, पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इस बस्ती के एक कूचे में, चाँद नगर, दुनिया गोल है, उर्दू की आख़िरी किताब | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
इब्ने इंशा / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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इब्ने-इंशा की रचनाएँ
- इंशाजी उठो अब कूच करो / इब्ने इंशा
- उस शाम वो रुख़सत का समा / इब्ने इंशा
- एक लड़का / इब्ने इंशा
- रेख़्ता / इब्ने इंशा
- कबित्त (कवित्त) / इब्ने इंशा
- फ़र्ज़ करो / इब्ने इंशा
- इक बार कहो तुम मेरी हो / इब्ने इंशा
- लोग पूछेंगे / इब्ने इंशा
- साए से / इब्ने इंशा
- इंतज़ार की रात / इब्ने इंशा
- सावन-भादों साठ ही दिन हैं / इब्ने इंशा
- हम उनसे अगर मिल बैठते हैं / इब्ने इंशा
- कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा / इब्ने इंशा
- देख हमारे माथे पर / इब्ने इंशा
- अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले / इब्ने इंशा
- और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का / इब्ने इंशा
- रात के ख्वाब सुनाएं किस को रात के ख्वाब सुहाने थे / इब्ने इंशा
- जोग बिजोग की बातें झूठी सब जी का बहलाना हो / इब्ने इंशा
- ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली / इब्ने इंशा
- यह बच्चा किसका बच्चा है / इब्ने इंशा
- ये बातें झूठी बातें हैं / इब्ने इंशा
- और तो कोई बस न चलेगा / इब्ने इंशा
- अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा / इब्ने इंशा
- ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया / इब्ने इंशा
- फ़क़ीर बन कर तुम उनके दर पर हज़ार धुनि रमा के बैठो / इब्ने इंशा
- हम घूम चुके बस्ती-वन में / इब्ने इंशा
- सुनते हैं फिर छुप छुप उनके घर में आते जाते हो / इब्ने इंशा
- दिल ने हमारे बैठे बैठे कैसे कैसे रोग लगाये / इब्ने इंशा
- एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनों / इब्ने इंशा
- चल इंशा अपने गाँव में / इब्ने इंशा
- जाने तू क्या ढूँढ रहा है बस्ती में वीराने में / इब्ने इंशा
- जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली हम लोगों ने इश्क़ ईजाद किया / इब्ने इंशा
- जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है / इब्ने इंशा
- कल चौंदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा / इब्ने इंशा
- किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे / इब्ने इंशा
- रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे / इब्ने इंशा
- राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा / इब्ने इंशा
- सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके / इब्ने इंशा
- शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती / इब्ने इंशा
- सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो / इब्ने इंशा
- उस शाम वो रूख़्सत का समाँ याद रहेगा / इब्ने इंशा
- ‘इंशा’ जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या / इब्ने इंशा
- दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो / इब्ने इंशा
- देख हमारी दीद के कारण कैसा क़ाबिल-ए-दीद हुआ / इब्ने इंशा
- अर्श के तारे तोड़ के लाएँ काविश लोग हजार करें / इब्ने इंशा