सावण फागण
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रचनाकार | लक्ष्मीनारायण रंगा |
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प्रकाशक | सुषमा प्रकाशन, बीकानेर |
वर्ष | 1985 |
भाषा | राजस्थानी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
ग़ज़लां
- म्हैं तो पाणीं रा आखर हां मिट जासां / लक्ष्मीनारायण रंगा
- समै री चोट जिको सैवै है आदमी / लक्ष्मीनारायण रंगा
- बीती आखी ऊमर तनै याद करतां करतां / लक्ष्मीनारायण रंगा
- ओ दिन घणों अन्धेरो है / लक्ष्मीनारायण रंगा
- आदमी कित्तै रंगां में रंग्यो हुयो है / लक्ष्मीनारायण रंगा
- चौफेर घिरी ऊंची दिवारां / लक्ष्मीनारायण रंगा
- दुख सूं गुजरी रात सारी / लक्ष्मीनारायण रंगा
- हर किरण कर लियो अधियारां सूं करार / लक्ष्मीनारायण रंगा
- कित्ता रंग अर रूप बदळै है आदमी / लक्ष्मीनारायण रंगा
- अकास धुंधळायोड़ो है / लक्ष्मीनारायण रंगा
- उतर रियो हर चीज रो पाणीं / लक्ष्मीनारायण रंगा
- वसुधैव कुटुम्बकम पण कोई नी आपांरो / लक्ष्मीनारायण रंगा
- अन्धारी नगरी में आंधा बसै है लोग / लक्ष्मीनारायण रंगा
- मिनख जूण रोटी रोटी / लक्ष्मीनारायण रंगा
- जिन्दगी नारेळ री जोटी बणीं / लक्ष्मीनारायण रंगा
- मिनख बधतो जारियो है / लक्ष्मीनारायण रंगा
- राम राज में तावड़ो ई छांयां है / लक्ष्मीनारायण रंगा
बीजिकावां
चितराम
कविता