अमरनाथ श्रीवास्तव
जन्म | 21 जून 1937 |
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निधन | 15 नवम्बर 2009 |
उपनाम | |
जन्म स्थान | ग्राम बौरवा, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गेरू की लिपियाँ, दोपहर में गुलमोहर (दोनो नवगीत-संग्रह) आदमी को देखकर (ग़ज़ल-संग्रह) है बहुत मुमकिन(गीतों का एक चयन) | |
विविध | |
धर्मयुग, वागर्थ, आजकल, गगनांचल, मधुमति, दस्तावेज़ आदि पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित व आकाशवाणी, दूरदर्शन से प्रसारित। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'निराला' नामित पुरस्कार दो बार प्राप्त करने वाले पहले कवि। साहित्य भूषण पुरस्कार। तीन काव्य संकलन प्रकाशित। डा० जगदीश गुप्त उन्हे नवगीत का भगीरथ कहा करते थे। | |
जीवन परिचय | |
अमरनाथ श्रीवास्तव / परिचय |
प्रतिनिधि नवगीत
- सधे पलड़ों के तराज़ू / अमरनाथ श्रीवास्तव
- नाल मढ़ाने चली मेढकी / अमरनाथ श्रीवास्तव
- अनुपस्थिति मेरी / अमरनाथ श्रीवास्तव
- मंज़िल-दर-मंज़िल / अमरनाथ श्रीवास्तव
- संहिता के व्यूह में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- प्यादे से वज़ीर / अमरनाथ श्रीवास्तव
- पुण्य फलीभूत हुआ / अमरनाथ श्रीवास्तव
- लोग खड़े हैं इंतज़ार में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- सारी रैन जागते बीती / अमरनाथ श्रीवास्तव
- शोभा-यात्रा / अमरनाथ श्रीवास्तव
- पीहर का बिरवा / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कहता है पका हुआ फल / अमरनाथ श्रीवास्तव
- सम्बन्धों के ठंडे घर में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- मैं बहुत ख़ुश हूँ अगर... / अमरनाथ श्रीवास्तव
- नर्मदा के जल बताओ / अमरनाथ श्रीवास्तव
- जंगल शहतूतों के / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कुछ ट्रेनें ऐसी भी/ अमरनाथ श्रीवास्तव
- कितना खलता है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- इतने थोड़े जल में / अमरनाथ श्रीवास्तव