- हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी
- आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी
- नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना / आरज़ू लखनवी
- दिल का जिस शख़्स के पता पाया / आरज़ू लखनवी
- यह मेरी तौबानतीजा है बुख़लेसाक़ी का / आरज़ू लखनवी
- हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया / आरज़ू लखनवी
- जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक / आरज़ू लखनवी
- जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं / आरज़ू लखनवी
- मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं / आरज़ू लखनवी
- तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार / आरज़ू लखनवी
- खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी
- क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी
- अब मुझको फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या / आरज़ू लखनवी
- इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई / आरज़ू लखनवी
- मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र / आरज़ू लखनवी
- रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से / आरज़ू लखनवी
- आ गई मंज़िलें-मुराद, बांगेदरा को भूल जा / आरज़ू लखनवी
- क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता / आरज़ू लखनवी
- नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी
- दो घड़ी को दे दे कोई अपनी आँखों की जो नींद / आरज़ू लखनवी