Last modified on 14 जून 2007, at 19:58

मुझे आस है / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:58, 14 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} मुझे आस है<br> मिट जाएगा मन ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुझे आस है

मिट जाएगा मन में घिरा

घोर अँधियारा।

किरण भोर की

आँगन में आ

फैला ही देगी उजियारा।

होंठों पर उतरेगी चाँदनी

बनकर मधुर मधुर मुस्कान।

आँखों में होगी शीतलता

और कण्ठ में मीठा गान ।

जितने भी बादल हैं दुख के

सब के सब छँट जाएँगे ।

उमंग भरा होगा हर मन

सुख सब में बँट जाएँगे।