भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सीतल महल महा, सीतल पटीर पंक / देव
Kavita Kosh से
Himanshu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:21, 28 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देव }}{{KKAnthologyGarmi}} <poem>सीतल महल महा, सीतल पटीर पंक, सीतल …)
सीतल महल महा, सीतल पटीर पंक,
सीतल कै लीपि भीत, छीत-छात दहरें ।
सीतल सलिल भरे, सीतल विमल कुंड,
सीतल अमल जल-तंत्र-धारा छहरें ॥
सीतल बिछौनन पै, सीतल बिछाई सेज,
सीतल दुकॊल पैन्हि पौढ़े हैं दुपहरें ।
देव दोऊ सीतल अलिंगनन लेत-देत,
सीतल सुगंध मंद मारुत की लहरें ॥