Last modified on 31 मई 2011, at 12:58

गीतावली पद 101 से 110 तक/ पृष्ठ 9

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:58, 31 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

109
अयोध्या-आगमन
राग कान्हरा

भुजनिपर जननी वारि-फेरि डारी |
क्यों तोर्यो कोमल कर-कमलनि सम्भु-सरासन भारी? ||

क्यों मारीच सुबाहु महाबल प्रबल ताडका मारी ?
मुनि-प्रसाद मेरे राम-लषनकी बिधि बड़ि करवर टारी ||

चरनरेनु लै नयननि लावति, क्यों मुनिबधू उधारी |
कहौधौं तात! क्यों जीति सकल नृप बरी है बिदेहकुमारी ||

दुसह-रोष-मूरति भृगुपति अति नृपति-निकर खयकारी |
क्यों सौम्प्यो सारङ्ग हारि हिय, करी है बहुत मनुहारी ||

उमगि-उमगि आनन्द बिलोकति बधुन सहित सुत चारी |
तुलसिदास आरती उतारति प्रेम-मगन महतारी ||