(23)
रावणकी मन्त्रणा
राग आसावरी
आए देखि दूत, सुनि सोच सठ-मनमैं |
बाहर बजावै गाल, भालु कपि कालबस|
मोसे बीरसों चहत जीत्यो रारि रनमैं ||
राम छाम, लरिका लषन, बालि-बालकहि,
घालिको गनत? रीछ जल ज्यों न घनमैं |
काजको न कपिराज, कायर कपिसमाज,
मेरे अनुमान हनुमान हरिगनमैं ||
समय सयानी मृदु बानी रानी कहै पिय !
पावक न होइ जातुधान बेनु-बनमैं |
तुलसी जानकी दिए, स्वामीसों, सनेह किये
कुसल, नतरु सब ह्वैहैं छार छनमैं ||