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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 41 से 51 तक/पृष्ठ 7
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जानकी-त्रिजटा-संवाद
राग जैतश्री
कब देखौङ्गी नयन वह मधुर मूरति ?
राजिवदल-नयन, कोमल, कृपा-अयन,
मयननि बहु छबि अंगनि दुरति ||
सिरसि जटा-कलाप, पानि सायक,
चाप, उरसि रुचिर बनमाल लूरति |
तुलसिदास रघुबीरकी सोभा सुमिरि,
भई है मगन नहि तनकी सूरति ||