भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:57, 23 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खं…)
दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
अगर वे दिल से बुलाते तो कोई दूर न था
ये माना हमने, झुका सर न उनके चरणों तक
जो वे भी आँख उठाते तो कोई दूर न था
बहुत ही गहरे में मिलता है प्यार का मोती
हम और डूबते जाते तो कोई दूर न था
नहीं था खेल ये माना कि चाँद को छूना
कहीं वे साथ निभाते तो कोई दूर न था
'गुलाब' सब यहाँ लगते हैं दूर-दूर मगर
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था