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चिंता और उछाह मैं / शृंगार-लतिका / द्विज
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दोहा
(सरस्वती अनुग्र-वर्णन)
चिंता और उछाह मैं, परयौ जानि द्विज-दीन ।
बिधिहि तुरत तजि भारती, मात अनुग्रह कीन ॥५२॥