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इस सफ़र में / सुरेश सलिल
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इस सफ़र में
बहुत भरमे
धुंध छाई
शहर भर में
शाम लेटी है
सहर में
इक बयाबाँ
ऎ'न घर में
क्या कहें
छोटी बहर में !
(रचनाकाल : 2001)